Saturday 14 March 2015

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- आकाश मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ ---  आकाश मुद्रा 


विशेष :-

हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली उंगली को अनामिका  कहते हैँ।
4. अनामिका  के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका  कहते हैँ।

मुद्रा हाथ की अँगुलियों को अंगूठे के साथ बिशेष प्रकार से मिलाने से बनती हैं।  मुद्रा योगिक विधि है और बहुत ही सरल है।  मुद्राओं से हम आसानी से सामान्य व गंभीर बिमारिओं से छुटकारा पा सकते हैँ।

आज हम मुद्रा की कड़ी में दूसरी मुद्रा के बारे में बतायेंगे।  इस मुद्रा का नाम है आकाश  मुद्रा।



इस  मुद्रा में  अंगूठे के साथ मध्यमा उंगली  को स्पर्श किया जाता है। (देखिये चित्र )


लाभ :-


1. आकाश  मुद्रा से हृदय  के रोग दूर होते हैँ।


2. ह्रदय  का विकास होता है।


3. हड्डियों की कमजोरी दूर होती हैं  


4. जोड़ों के रोग में लाभदायक है। 


5. घुटने की दर्द, सूजन इत्यादि दूर होती है। 



6  कान की सुनने की  शक्ति बढ़ती है।


7  कान के अन्य रोगों में लाभकारी है। 



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अरुणा योगमयी  (M.D.  Acu)
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