Tuesday 12 May 2015

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- शून्य मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ  --- शून्य  मुद्रा 

विशेष :-

हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली उंगली को अनामिका  कहते हैँ।
4. अनामिका  के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका  कहते हैँ।

मुद्रा हाथ की अँगुलियों को अंगूठे के साथ बिशेष प्रकार से मिलाने से बनती हैं।  मुद्रा योगिक विधि है और बहुत ही सरल है।  मुद्राओं से हम आसानी से सामान्य व गंभीर बिमारिओं से छुटकारा पा सकते हैँ।

आज हम मुद्रा की कड़ी में छठी   मुद्रा के बारे में बतायेंगे।  इस मुद्रा का नाम है शुन्य   मुद्रा।

वायु मुद्रा के लिए मध्यमा  उंगली को अंगूठे के जड़ में मिलाया जाता हैं  


1. इस मुद्रा का उपयोग केवल सीमित समय के लिए ही किया जाना चाहिए। 
2. यह मुद्रा कान दर्द व कान के अन्य रोगों में लाभदायक है। 
3. इस मुद्रा से बहरापन दूर होता है। 
4. यह मुद्रा गूँगेपन में  भी फायदा करता है। 
5.  एक समय पर इसे 40 - 60 मिनट तक ही किया जाना चाहिए। 



For Ears, Dumbness & Hearing Loss  :::Remedies with Fingers Postures

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
अरुणा योगमयी  (M.D.  Acu)
Email:  healthyindia.yeswecan@gmail.com

also at Whatsapp and Hike 
at Mob: +91 8950241438


No comments:

Post a Comment