Tuesday 12 May 2015

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- जलोदर नाशक मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ  --- जलोदर नाशक  मुद्रा विशेष :-


हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली उंगली को अनामिका  कहते हैँ।
4. अनामिका  के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका  कहते हैँ।

मुद्रा हाथ की अँगुलियों को अंगूठे के साथ बिशेष प्रकार से मिलाने से बनती हैं।  मुद्रा योगिक विधि है और बहुत ही सरल है।  मुद्राओं से हम आसानी से सामान्य व गंभीर बिमारिओं से छुटकारा पा सकते हैँ।

आज हम मुद्रा की कड़ी में जलोधर नाशक   मुद्रा के बारे में बतायेंगे।




  जलोधर नाशक   मुद्रा के लिए कनिष्ठिका को अंगूठे के  जड़ में  मिलाया जाता है। 



लाभ :-
शरीर में जल की मात्रा  अधिक होने से आँखों के त्वचा फूल जाती है। 
जल की मात्रा  अचिक होने ने पूरा शरीर भी फूलने लगता हैं  और मोटापे की बीमारी व्यक्ति को घेर लेती है। 


इन सब से छुटकारा पाने के लिए यह मुद्रा बहुत हे लाभदायक  कार्य करती है। 





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मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- सूर्य मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ  --- सूर्य मुद्रा 


मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ  --- सूर्य   मुद्रा 

विशेष :-

हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली उंगली को अनामिका  कहते हैँ।
4. अनामिका  के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका  कहते हैँ।

मुद्रा हाथ की अँगुलियों को अंगूठे के साथ बिशेष प्रकार से मिलाने से बनती हैं।  मुद्रा योगिक विधि है और बहुत ही सरल है।  मुद्राओं से हम आसानी से सामान्य व गंभीर बिमारिओं से छुटकारा पा सकते हैँ।

आज हम मुद्रा की कड़ी में छठी   मुद्रा के बारे में बतायेंगे।  इस मुद्रा का नाम है  सूर्य    मुद्रा।



सूर्य मुद्रा के लिए अनामिका   उंगली को अंगूठे के जड़ में मिलाया जाता हैं।  


लाभ :-

1. वजन घटाने में सहायता करता है।2. वजन काम होने के कारण टेंशन में लाभ मिलता है। 












For Weight Loss without major physical exercises and Diet Control.
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मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- शून्य मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ  --- शून्य  मुद्रा 

विशेष :-

हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली उंगली को अनामिका  कहते हैँ।
4. अनामिका  के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका  कहते हैँ।

मुद्रा हाथ की अँगुलियों को अंगूठे के साथ बिशेष प्रकार से मिलाने से बनती हैं।  मुद्रा योगिक विधि है और बहुत ही सरल है।  मुद्राओं से हम आसानी से सामान्य व गंभीर बिमारिओं से छुटकारा पा सकते हैँ।

आज हम मुद्रा की कड़ी में छठी   मुद्रा के बारे में बतायेंगे।  इस मुद्रा का नाम है शुन्य   मुद्रा।

वायु मुद्रा के लिए मध्यमा  उंगली को अंगूठे के जड़ में मिलाया जाता हैं  


1. इस मुद्रा का उपयोग केवल सीमित समय के लिए ही किया जाना चाहिए। 
2. यह मुद्रा कान दर्द व कान के अन्य रोगों में लाभदायक है। 
3. इस मुद्रा से बहरापन दूर होता है। 
4. यह मुद्रा गूँगेपन में  भी फायदा करता है। 
5.  एक समय पर इसे 40 - 60 मिनट तक ही किया जाना चाहिए। 



For Ears, Dumbness & Hearing Loss  :::Remedies with Fingers Postures

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मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- वायु मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ  --- वायु मुद्रा


  


विशेष :-

हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली उंगली को अनामिका  कहते हैँ।
4. अनामिका  के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका  कहते हैँ।

मुद्रा हाथ की अँगुलियों को अंगूठे के साथ बिशेष प्रकार से मिलाने से बनती हैं।  मुद्रा योगिक विधि है और बहुत ही सरल है।  मुद्राओं से हम आसानी से सामान्य व गंभीर बिमारिओं से छुटकारा पा सकते हैँ।

आज हम मुद्रा की कड़ी में वायु  मुद्रा के बारे में बतायेंगे।  इस मुद्रा का नाम है वायु  मुद्रा।


इस  मुद्रा में  तर्जनी  उंगली  को अंगूठे की जड़ में मिलाया  जाता है। (देखिये चित्र )


लाभ :-


1. वायु  मुद्रा से हथेली में  शनि पर्वत व शनि रेखा का विकास होता है ।


2. वात रोग में बहुत ही लाभदायक है। 


3. इससे गठिया रोग  दूर होता है। 


4. इससे कम्पन रोग (पार्किंसन) में  लाभ मिलता  है। 


5. घुटने की दर्द, सूजन इत्यादि दूर होती है। 



6  सर्वाइकल, लकवा (अधरंग), सायटिका इत्यादि में  लाभ पहुँचता  है।





Bones  & Joints Remedies with Fingers Postures

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Monday 11 May 2015

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- वरुण मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- वरुण मुद्रा 


हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली उंगली को अनामिका कहते हैं। 

4. अनामिका के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका कहते हैँ। 



आज हम चौथी मुद्रा यानि वरुण मुद्रा के बारे में  बताएँगे।   यह मुद्रा कनिष्ठिका को अंगूठे से मिला कर बनायी जाती है। 

लाभ :-

1. इससे शरीर का रूखा पन समाप्त होता  है।
2. इससे शरीर में  चिकनाई का अनुभव होता है।
3. रक्त को गाढा होने से बचाता है।
4. शरीर में  जल की कमी में  लाभदायक हैं।
5. Dehydration  की स्थिति में  बहुत लाभदायक है। 


(विशेष :-  इस मुद्रा को केवल आवश्यकता के समय ही करना ) 





Physical, Mental and Spiritual Health  with Fingers Postures

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Monday 4 May 2015

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- पृथ्वी मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ ---  पृथ्वी मुद्रा




आज हम मुद्रा के बारे में  बात करेंगे। मुद्रा हाथ की अँगुलियों को अंगूठे के साथ बिशेष प्रकार से मिलाने से बनती हैं।  मुद्रा योगिक विधि है और बहुत ही सरल है।  मुद्राओं से हम आसानी से सामान्य व गंभीर बिमारिओं से छुटकारा पा सकते हैँ।

विशेष :-


हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली

1. पृथ्वी  मुद्रा से शारीरिक कमजोरी दूर होती है। 


2. इससे तेज का प्रवाह बढ़ता है 


3. इससे शरीर का वज़न बढ़ता है  


4.शरीर मैं सूक्ष्म तत्वों की कमी को पूरी करता है । 


5. इस मुद्रा से संकीर्णता मिटती  है। 



6  हृदय मैं उदारता आती  है।


7  इससे अध्यात्म में वृद्धि होती है। 



Physical, Mental and Spiritual Health  with Fingers Postures

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Saturday 14 March 2015

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- आकाश मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ ---  आकाश मुद्रा 


विशेष :-

हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली उंगली को अनामिका  कहते हैँ।
4. अनामिका  के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका  कहते हैँ।

मुद्रा हाथ की अँगुलियों को अंगूठे के साथ बिशेष प्रकार से मिलाने से बनती हैं।  मुद्रा योगिक विधि है और बहुत ही सरल है।  मुद्राओं से हम आसानी से सामान्य व गंभीर बिमारिओं से छुटकारा पा सकते हैँ।

आज हम मुद्रा की कड़ी में दूसरी मुद्रा के बारे में बतायेंगे।  इस मुद्रा का नाम है आकाश  मुद्रा।



इस  मुद्रा में  अंगूठे के साथ मध्यमा उंगली  को स्पर्श किया जाता है। (देखिये चित्र )


लाभ :-


1. आकाश  मुद्रा से हृदय  के रोग दूर होते हैँ।


2. ह्रदय  का विकास होता है।


3. हड्डियों की कमजोरी दूर होती हैं  


4. जोड़ों के रोग में लाभदायक है। 


5. घुटने की दर्द, सूजन इत्यादि दूर होती है। 



6  कान की सुनने की  शक्ति बढ़ती है।


7  कान के अन्य रोगों में लाभकारी है। 



Heart & Joints Remedies with Fingers Postures

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Wednesday 11 March 2015

मुद्रा द्वारा स्वास्थ्य लाभ --- ज्ञान मुद्रा

मुद्रा द्वारा स्वास्थ्य लाभ ---  ज्ञान मुद्रा 


आज हम मुद्रा के बारे में  बात करेंगे। मुद्रा हाथ की अँगुलियों को अंगूठे के साथ बिशेष प्रकार से मिलाने से बनती हैं।  मुद्रा योगिक विधि है और बहुत ही सरल है।  मुद्राओं से हम आसानी से सामान्य व गंभीर बिमारिओं से छुटकारा पा सकते हैँ।

विशेष :-


हाथ में  एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी  के साथ वाली उंगली को मध्यमा  कहते हैँ।
3. मध्यमा  के साथ वाली उंगली को अनामिका  कहते हैँ।
4. अनामिका  के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका  कहते हैँ।

ज्ञान मुद्रा 




इस  मुद्रा में  अंगूठे के साथ तर्जनी को स्पर्श किया जाता है। (देखिये चित्र )

1. ज्ञान मुद्रा से स्नायुमण्डल के रोग दूर होते हैँ।


2. मस्तिष्क का विकास होता है।


3. मस्तिष्क तेज़ होता है।


4. स्मरण शक्ति बढ़ती है।


5. ज्ञान तंतुओं का विकास होता है।


6. क्रोध पर काबू पाने में  यह मुद्रा लाभकारी हैं।


7. इस मुद्रा के करने से आलस्य समाप्त होता हैं।


8. घबराहट, बैचैनी और डिप्रेशन मैं अति लाभकारी है।


9. इस मुद्रा से टेंशन ख़त्म की जा सकती हैं। 

Be Healthy with Simple Fingers Postures



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Thursday 26 February 2015

Diabetes Free Healthy India -- Happy India

आज विश्व मैं करोड़ों लोग डायबिटीज के शिकार हैं।  केवल भारत मैं ही 6.5 करोड़ लोग इस घातक बीमारी से जूझ रहे हैं।  डायबिटीज के रोगीओं को आये दिन स्वास्थ्य की  समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

यदि डायबिटीज का उपचार न किया जाये या ठीक प्रकार से पूरा इलाज न करवाया जाये, तो इस का असर पूरे शरीर पर पड़ता है।

डायबिटीज के प्रभाव से आँखों की रौशनी काम हो जाती है,  यहाँ तक कि व्यक्ति अंधेपन का शिकार भी हो सकता है। रक्त वाहिनिओं  पर  भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। किडनी पर भी  इस का बुरा असर पड़ता है।   इस से उच्च  रक्त चाप भी हो जाता है।  और तो और इस घातक बीमारी से स्ट्रोक का खतरा भी कई गुना बड़  जाता है, यहाँ तक कि  अंग तक कटवाने की नौबत आ जाती है।

डायबिटीज को हलके से नहीं लेना चाहिए।  एक्यूप्रेशर में  इस बीमारी का उपचार संभव है।  जरूरत है तो बस पैंक्रियास नामक ग्लैंड को सक्रिय करने की।  यह ग्रंथि  शुगर पचाने  का कार्य करती हैं, परन्तु जब  इस  ग्रंथि (ग्लैंड) से अधिक  स्राव होने लगता हैं  तो इस  के कारण शुगर कम  हो जाती है और फलस्वरूप रक्त का दबाव कम  होता हैं  अर्थात लो बी पी हो जाता हैं। इसी ग्लैंड के ठीक प्रकार कार्य न करने से  आधा सीसी का दर्द भी होता हैं।  इसी ग्लैंड के ठीक प्रकार कार्य न करने से व्यक्ति को नशे की आदत भी पड़ जाती है।

एक्यूप्रेशर द्वारा इस ग्लैंड को एक्टिवेट  करने से ऊपर लिखी सारी  परेशानिओ से छुटकारा पाया जा सकता हैं।

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Thursday 19 February 2015

HEALTH  in  Your  HANDS


जैसे पंखा चलाने के लिए हमें एक Particular  Switch को ऑन करना पड़ता है जिस स्विच का पंखे के साथ internal wiring से कनेक्शन होता है।  तभी पंखा चलता है।  वास्तव में हमने यह सिस्टम ईश्वर के बनाये हुए सिस्टम से कॉपी किया है।  
हमारे शरीर में नसों और नाड़िओ के रूप में इंटरनल वायरिंग है, इन में दौड़ता हुआ खून हमारी इलेक्ट्रिसिटी है और हमारे मुख़्य स्विच हमारे हाथों और पैरों मैं होते हैं।  
इन स्विचों को प्रतिदिन  उचित दबाव देने से हमारे अंगों की सफाई, मरम्मत और एक्टिवेशन होती है। जैसे हम अपनी बाइक या कार की नियमित सर्विस करवाते हैं उसी प्रकार यदि हम अपने शरीर की प्रतिदिन सर्विस करते रहेंगे तो हम हर प्रकार की बिमारिओं से बच सकते हैं।

Prevention  is  Better than Cure  …………

हमें अपने अंदर बैठे चिटिक्सक को पहचानना है ताकि हमें अस्पतालों में डॉक्टर के इंतज़ार में मेले न लगाने 
पड़े।  इस तरह से हम अपनी बहुत साडी एनर्जी, बहुत कीमती समय, और बहुत मेहनत से कमाया हुआ धन बचा सकते हैं।  प्रकृति की यह अनमोल देन  अमीर गरीब दोनों के लिए है।  परमात्मा ने यह सिस्टम हर व्यक्ति के अंदर फिट किया हुआ है। यह थेरेपी सभी लोगों के लिए समान  रूप से काम करती है। 

 हम अपने देश भारत को रोगमुक्त बनाने  लिए इस थेरेपी को, आज़माएं, अपनाएं और इस ब्लॉग को ज़्यादा से ज़यादा लोगों से शेयर करें और कमेंट करना न भूलें।

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Saturday 14 February 2015

नारी सशक्तिकरण -- राष्ट्र सशक्तिकरण

हेल्थी इंडिया मूवमेंट का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है नारी को सशक्त करना , सबल बनाना , शिक्षित करना। 




Educate a Woman  --  Educate a Generation

किसी भी परिवार में सुख समृद्धि नहीं आ सकती जब तक नारी को सशक्त न किया जाये।  किसी भी समाज या किसी भी राष्ट्र के समुचित विकास के लिए यह जरुरी है कि कन्याओं व प्रत्येक नारी को यह सिखाया जाये कि व  किस प्रकार अपने हार्मोन्स को संतुलित रख सकती है।  एक्यूप्रेशर पद्दति  को सीख कर  स्वयं को और अपने परिवार को स्वस्थ रख सकती है। 

कल्पना करके देखिये जिस परिवार  माँ नहीं, बहन नहीं , बेटी नहीं, बहु नहीं ! आप शाम को अपने काम से घर वापिस आते हैं, घर में कोई पानी देने वाली नहीं, घर को सँवारने, सजाने, सँभालने वाली कोई नहीं, यह सोच कर भी डर  लगता है।  क्योंकि जहाँ नारी नहीं वो घर श्मशान के समान  है।  हमारे शास्त्र भी कहते है जिस घर में नारी की पूजा होती है वहीँ देवता निवास करते हैं।  हर क्षेत्र मैं नारी बढ़ चढ़ कर भाग ले रही है, सहयोग दे रही है।  परिवार को सँभालने की जिम्मेदारी से लेकर राष्ट्रपति पद तक, केंद्रीय मंत्री, मुख्य  मंत्री, पुलिस अधिकारी, सेना अधिकारी, पायलट, खेल जगत, साहित्य की दुनिया हो या फ़िल्मी दुनिया, नारी ने अपना फ़र्ज़ बखूबी निभाया है।

नारी घर की गृहमंत्री है, वित्तमंत्री है।  कभी माँ  बन कर ममता लुटाती  है, कभी मित्र या सखी बनकर गलत रास्ते पर जाने से रोकती है, कभी पत्नी बनकर  अपने फ़र्ज़ निभाती है, कभी बहन बन कर भाई के सुख की कामना करती है, तो कभी बहु बन कर सेवा करती है।  कितने रूप हैं नारी के।  परिवार के सभी सदस्यों का ख्याल रखती है।  उनकी संभाल  करती है, उनके प्रति अपनी हर जिम्मेदारी को निभाती है।  और अगर इन में से किसी भी एक रूप में नारी प्रत्येक घर में एक्यूप्रेशर चिकित्सक हो तो क्या परिवार  के किसी भी सदस्य के तनाव को दूर करने के लिए, सर दर्द, पेट दर्द, टांग दर्द, बी पी, एसिडिटी, उलटी, घबराहट आदि परेशानियों  को दूर करने के लिए हमें बाहर डॉक्टर ढूंढने की जरूरत पढ़ेगी? नहीं कभी नहीं! हमारा डॉक्टर तो हमारे घर में  ही है।  और तो और शुगर लेवल कंट्रोल में  रखना, हार्ट को व्यवस्थित रखना, थाइरोइड  जैसी अनेक बिमारियों में भी हमें घर से बाहर जाने की जरूरत नहीं पढ़ेगी !

यदि एक कन्या शिक्षित होती है तो वह दो परिवारों को स्वस्थ रख सकती है। आगे चलकर वह एक समझदार पत्नी, और एक सुयोग्य माता बन सकती है। इस शिक्षा प्रणाली द्वारा उसके शारीरिक विकास के साथ साथ मानसिक विकास भी अच्छा होगा।  साथ ही वह अपने जीवन की किसी भी समस्या का सामना करने के लिए सक्षम होगी।   प्रत्येक कन्या को यह सीखना है कि  किस प्रकार वह अपने व  अपने परिवार के सदस्यों के हार्मोन्स को सन्तुलिक रख सकती है।  विवाह के उपरांत अपने जन्म लेने वाले बच्चे को अस्वस्थ होने से रोक सकती है। अपने बच्चे को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, थैलेसेमिया जैसे अनेक रागों से बचा सकती हैं।

इसी प्रकार 8  से 10 वर्ष तक  के लड़कों को भी ये पद्दति सीखना इस संस्था (स्वस्थ भारत अभियान) का  उद्देश्य है ताकि शारीरिक व  मानसिक विकास सही ढंग से हो सके।  बड़ा होने पर वे हस्तदोष, वीर्यविकार,स्वप्नदोष, और उसके कारण पैदा हुई मानसिक दुर्बलताओं, विकृतियों जैसी यौन समस्याओं से बच सकें।

हम सभी युवक एवं युवतिओं का आह्वान करते हैं -- आप आएं इस Healthy India Movement (स्वस्थ भारत अभियान) से जुड़ जाएँ।  हमारे इस ब्लॉग को पढ़ें, लाइक  करें, कमेंट करें, अपने सुझाव दें, और इस अभियान को एक राष्ट्रीय आंदोलन बनाने में हमारा साथ दें।


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Friday 13 February 2015

स्वस्थ भारत - Yes We Can

हमारा उद्देश्य : 
समस्त भारत राष्ट्र को रोगमुक्त , अपराधमुक्त  और शारीरिक, मानसिक व आत्मिक शक्ति से सम्पन बनाना

पहला सुख निरोगी काया 

अच्छा स्वास्थ्य व  सुखी जीवन प्रत्येक भारतवासी का अधिकार है।  और ऐसा हम भारतवासी कर भी सकते हैं। YES WE CAN . हमारे भारत देश में आज भी वो अनमोल निधि है जिससे हम साध्य व असाध्य रोगों की उत्पत्ति को रोक ही  सकते हैं, साथ ही रोग हो जाने पर इसका उपचार भी कर सकते हैं।  जी हाँ ऐसा संभव हे।  यह अनमोल निधि हमें आयुर्वेद युग से कई हज़ार वर्ष पूर्व हमारे ऋषिओं मुनिओं द्वारा हमें विरासत में मिली है।  इन्ही अनमोल निधिओं को प्रत्येक भारतवासी तक पहुँचाना हमारा उद्देश्य है।  ताकि प्रत्येक भारतवासी स्वस्थ जीवन जी सके।  और बीमार होने पर अपनी चिकित्सा स्वयं कर सके।  स्वयं करने योग्य इस चिकित्सा पद्धति  अर्थात एक्यूप्रेशर को परमात्मा ने सभी के लिए समान रूप से बनाया है।  अनपढ़ से अनपढ़ व्यक्ति भी रोगमुक्त रहने की इस पद्धति को सीख सकता है।  हमारे देश में 6.5 करोड़ लोग केवल शुगर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। अगर आज हमें शुगर नहीं है, हार्ट प्रॉब्लम नहीं है, घुटनों की कोई समस्या नहीं है और हम चाहते हें कि जीवन की आखरी सांस तक हमें शुगर न हो, हार्ट प्रॉब्लम न हो, या घुटनों व जोड़ों में तकलीफ न हो या फिर अन्य कोई रोग न हो - तो ऐसा हम कर सकते हैं।  अपने खान पान में थोड़ा सा बदलाव ला कर, अपनी जीवन शैली में थोड़ा सा परिवर्तन ला कर और अपने हार्मोन्स को संतुलित करने के लिए एक्यूप्रेशर अपना कर ताकि हमारे शरीर का प्रत्येक अवयव सुचारु रूप से कार्य कर सके।

अकेले इस कार्य को करना संभव नहीं है।  समय की मांग है की 125 करोड़ देशवासिओं की भागीदारी इस पुनीत कार्य में सुनिश्चित की जा सके। प्रत्येक भारतवासी तक इस अनमोल पद्धति को पहुँचाने व अपनी मातृभूमि को रोगमुक्त बनाने के लिए जरुरी है कि आप ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के साथ इस ब्लॉग को शेयर करें, कमेंट करें, लाइक करें और इस पुनीत कार्य में अपना सहयोग दें।

धन्यवाद

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Thursday 12 February 2015

स्वस्थ जीवन जीने की राह

यदि हम कुछ साल पीछे जाएं तो हम पाएंगे कि आज की बजाए हम अधिक स्वस्थ थे। उम्र लम्बी हुआ करती थी।  बाल 60 - 70 वर्ष की आयु में सफेद हुआ करते थे।  दाँत 70 की आयु तक हमारा साथ दिया करते थे।  शुगर,  बी पी. और  हार्ट आदि की बीमारी नहीं हुआ करती थी।

वही देश वही ऋतुएं वही स्थान फिर भी सब कुछ बदल सा गया है। सब कुछ उलट हो गया है। क्या कारण है? कुछ समय पहले तक हमारे घरों में एक या दो डॉक्टर हुआ करते थे, हमारी नानी दादी व अन्य बुजुर्गों के रूप में।

हमारे बीमार होने पर हमारे आस पास की जड़ी बूटिओं या हमारी रसोई घर में पड़ी चीजों से ही हमारा इलाज कर दिया करते थे।  लेकिन आज हम अपने बड़े बुजुर्गों की तो सुनते नहीं और बाहर के डॉक्टरों को ढूंढते हैं। आज भी कई उदाहरण ऐसे मिल जायेंगे जब हम डॉक्टरों की दवाइयाँ खा खा कर परेशान हो जाते हैं और हमें आराम नहीं मिलता।  थक हार कर हम किसी बुजुर्ग की सलाह लेते हैं और उनका बताया हुआ नुस्खा हमारी परेशानी को सदा के लिए दूर कर देता है।

हम जब कोई वाशिंग मशीन या कंप्यूटर आदि खरीदते हैं तो हमें एक साल की वारंटी मिलती है और इस दौरान मशीन के ख़राब हो जाने की स्थिति में कंपनी की इंजीनियर आ कर ठीक कर जाता है।  परन्तु हमारे इस शरीर का इंजीनियर तो उस दयालु कृपालु प्रभु ने हमारे अन्दर ही बैठा है। जरुरत है केवल उससे संवाद करने की। उस इंजीनियर को समझने की।  उसे समझने के बाद हम स्वयं ही अपने शरीर को पूर्ण स्वस्थ रखने में सक्षम हो जायेंगे।

हम अपनी गलत आदतों  की वजह से शरीर को रोगी बना देते हैं। गलत आहार, गलत व्यवहार , गलत विचार दुर्भावना  इत्यादि से मन दूषित हो जाता है।

इंग्लिश में एक  शब्द आता है डिजीज disease. Ease का अर्थ है आराम से यानि नार्मल।  dis ease का अर्थ हुआ जो नार्मल या सामान्य नहीं। यही बीमारी या disease की परिभाषा है।  

एक्यूप्रेशर द्वारा हमारे शरीर का प्रकृति के साथ संवाद होता है।  हमारे मन और आत्मा के साथ सीधा संवाद होता है।  हर बीमारी का इलाज हमारे शरीर के अंदर ही है।  और हर व्यक्ति उसे कर सकता है।


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Wednesday 11 February 2015

इस ब्लॉग में आप प्रतिदिन पाएंगे एक नया पोस्ट, एक नया विचार, स्वस्थ रहने के नए टिप्स। बस आपको करना है प्रतिदिन इस ब्लॉग को देखें, पढें, स्वयं जुड़ें, अपने मित्रों को जोड़ें इस स्वस्थ भारत अभियान के साथ, Healthy India Movement के साथ।
Healthy India Yes We Can --- स्वस्थ भारत - हाँ हम कर सकते हैं। 
भारत को रोग मुक्त बनाने  के लिए!  भारत को पूर्ण स्वस्थ बनाने के लिए
जय भारत  !!!


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