मुद्रा द्वारा स्वस्थ्य लाभ --- वरुण मुद्रा
हाथ में एक अंगूठा और 4 अन्य उंगलिआं होती हैँ।
1. अंगूठे के साथ वाली उंगली को तर्जनी कहते हैँ।
2. तर्जनी के साथ वाली उंगली को मध्यमा कहते हैँ।
3. मध्यमा के साथ वाली उंगली को अनामिका कहते हैं।
4. अनामिका के साथ वाली उंगली को कनिष्ठिका कहते हैँ।
आज हम चौथी मुद्रा यानि वरुण मुद्रा के बारे में बताएँगे। यह मुद्रा कनिष्ठिका को अंगूठे से मिला कर बनायी जाती है।
लाभ :-
1. इससे शरीर का रूखा पन समाप्त होता है।
2. इससे शरीर में चिकनाई का अनुभव होता है।
3. रक्त को गाढा होने से बचाता है।
4. शरीर में जल की कमी में लाभदायक हैं।
5. Dehydration की स्थिति में बहुत लाभदायक है।
(विशेष :- इस मुद्रा को केवल आवश्यकता के समय ही करना )
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
अरुणा योगमयी (M.D. Acu)
अरुणा योगमयी (M.D. Acu)
Email: healthyindia.yeswecan@gmail.com
also at Whatsapp and Hike
at Mob: +91 8950241438
No comments:
Post a Comment